क्‍या है शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की रहस्‍यमयी कहानी? 

🔶 छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं थी, यह एक हिंदवी स्वराज्य की नींव थी। 🔷 आइए जानें, कैसे हुआ शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक और क्यों यह इतिहास में अमर है। 📅 तारीख: 6 जून 1674 

🔸 राज्याभिषेक के बाद उन्हें ‘छत्रपति’ की उपाधि दी गई। 🛡️ यह उपाधि दिखाती थी कि वे अब किसी के अधीन नहीं हैं – एक स्वतंत्र सम्राट! ⚔️ इससे पहले वे एक मराठा सेनापति माने जाते थे, अब वे स्वतंत्र हिंदू राजा बन चुके थे। 

🛕 रायगढ़ किले को विशेष रूप से सजाया गया। 📿 गागा भट्ट नामक प्रसिद्ध ब्राह्मण काशी से बुलाए गए। 🪔 वेदों के अनुसार पूरे विधि-विधान से संस्कार संपन्न हुआ।

❗ ब्राह्मणों ने शिवाजी की क्षत्रिय जाति पर सवाल उठाए। 📖 गागा भट्ट ने प्राचीन ग्रंथों से साबित किया कि शिवाजी सिसोदिया वंश के क्षत्रिय हैं। 📌 यह कदम जरूरी था ताकि उन्हें वैदिक रीति से राजा घोषित किया जा सके। 

🌟 पहली बार दक्षिण भारत में एक हिंदू राजा का वैदिक रीति से राज्याभिषेक हुआ। 🚩 यह मुगलों और निज़ामों के खिलाफ हिंदू अस्मिता का प्रतीक बन गया। 

🎊 पूरे महाराष्ट्र और दक्‍कन क्षेत्र में जश्न मनाया गया। 📣 हाथियों की सवारी, शंख-ध्वनि, और आरती के साथ शिवाजी का स्वागत हुआ। 💰 हजारों लोगों को दान-दक्षिणा दी गई। 📌 एक सच्चा राजराजेश्वर का जन्म हुआ। 

🔥 यह सिर्फ एक ताजपोशी नहीं थी, यह एक क्रांति का शंखनाद था। 💡 छत्रपति शिवाजी महाराज ने दिखा दिया – स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। 📈 आज भी यह घटना हमें आत्मगौरव और प्रेरणा देती है।