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भारत के स्वाभिमान और स्वराज्य के प्रतीक छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक केवल एक राजा के ताज पहनने की रस्म नहीं थी — यह एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण, एक राजनीतिक क्रांति और एक धार्मिक पुनर्स्थापन था।
लेकिन इस ऐतिहासिक घटना से जुड़ी ऐसी कई रहस्यमयी बातें हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ❓
💭 क्या आप जानते हैं कि शिवाजी को क्षत्रिय मानने से कई ब्राह्मणों ने मना कर दिया था?
💭 क्यों हुआ उनका राज्याभिषेक दो बार?
💭 और इस पूरे घटनाक्रम में औरंगज़ेब और वाराणसी के गागा भट्ट की क्या भूमिका रही?

1️⃣ भूमिका: एक स्वप्न जो इतिहास बना 🕉️
भारत के इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज 🇮🇳 वह नाम हैं, जिन्होंने न केवल तलवार से, बल्कि अपने विचारों और संस्कृति से भी इतिहास को पुनः लिखा।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके राज्याभिषेक से जुड़ी कुछ बातें आज भी रहस्य बनी हुई हैं? 🤔
यह केवल एक राजा की गद्दी पर चढ़ाई नहीं थी, बल्कि हिंदवी स्वराज्य की पुनः स्थापना थी – एक ऐसा विचार जिसे मिटा देने की साजिश सदियों से चली आ रही थी।
2️⃣ शिवाजी: साधारण बालक से महान सम्राट तक ⚔️👶➡️👑
शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में हुआ, लेकिन राज्याभिषेक हुआ 3 जून 1674 को – यानी 44 वर्ष की उम्र में।
💭 सवाल उठता है: इतने पराक्रमी योद्धा को राज्याभिषेक कराने में इतना समय क्यों लगा?
उत्तर छिपा है तत्कालीन राजनैतिक परिस्थितियों, धार्मिक मतभेदों और कुछ रहस्यमय घटनाओं में!
3️⃣ औरंगज़ेब की साजिशें और अपमान का बदला 😠🕌
⚔️ शिवाजी औरंगज़ेब की सत्ता के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुके थे।
1666 में औरंगज़ेब ने उन्हें आगरा दरबार में कैद कर लिया। लेकिन शिवाजी की चतुरता ने उन्हें वहाँ से नाटकीय ढंग से भाग निकलने में मदद की – एक घटना जो आज भी रोमांच से भर देती है! 😲📦
🔥 इस अपमान ने उनके मन में एक दृढ़ संकल्प जगा दिया – अब केवल सेनापति नहीं, सम्राट बनना है।
4️⃣ कौन करेगा राज्याभिषेक? 🕵️♂️🧙♂️
राज्याभिषेक का सबसे बड़ा रहस्य यह था कि कोई भी ब्राह्मण उन्हें क्षत्रिय मानने को तैयार नहीं था।
⛔ “शिवाजी क्षत्रिय नहीं हैं!” – यह कहते हुए कई ब्राह्मणों ने राज्याभिषेक कराने से इनकार कर दिया।
👉 अब जरूरत थी एक ऐसे विद्वान की, जो उनका वंश प्रमाणित कर सके।
5️⃣ समाधान आया वाराणसी से – गागा भट्ट 🙏📜
🛕 वाराणसी के प्रसिद्ध पंडित गागा भट्ट को बुलाया गया।
उन्होंने प्रमाणित किया कि शिवाजी महाराज सिसोदिया राजपूतों की शाखा से आते हैं – यानी वह सच्चे क्षत्रिय हैं।
👑 इसके बाद शिवाजी राज्याभिषेक के लिए धार्मिक रूप से योग्य माने गए। यह एक ऐतिहासिक मोड़ था!
6️⃣ 3 जून 1674: रायगढ़ का ऐतिहासिक सूर्योदय 🌅🪔
📍 रायगढ़ किला – गगनचुंबी पहाड़ियों पर स्थित यह स्थान बना मराठा साम्राज्य की राजधानी।
🎊 राज्याभिषेक समारोह वैदिक मंत्रों, पवित्र यज्ञ, शंखनाद और ढोल-नगाड़ों के साथ आरंभ हुआ।
💧 सात पवित्र नदियों – गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी और सरस्वती – के जल से शिवाजी महाराज का अभिषेक हुआ।
👑 उन्होंने धारण की सोने की मखमली पोशाक, सिर पर पारंपरिक मुकुट, और हाथ में धर्मध्वज।
7️⃣ रहस्य और परंपरा: क्या था खास इस राज्याभिषेक में? 🧿📿
✨ कुछ रहस्यमयी तत्व जो इस राज्याभिषेक को अनोखा बनाते हैं:
🔮 ज्योतिषीय मुहूर्तों की गहन गणना से तारीख चुनी गई थी।
💎 सिंहासन सोने का था, जिसमें नक्षत्रों के प्रतीक उकेरे गए थे।
📜 108 ब्राह्मणों ने मिलकर वेद मंत्रों का पाठ किया।
🌐 पूरे भारत से आए राजाओं और प्रतिनिधियों ने भाग लिया – यह राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बन गया।
8️⃣ दूसरा राज्याभिषेक – क्यों हुआ पुनः संस्कार? 🔁🧘♂️
शिवाजी महाराज का दूसरा राज्याभिषेक कुछ ही हफ्तों बाद 24 जून 1674 को हुआ।
📿 इसे “निष्कलंक राज्याभिषेक” कहा गया – ताकि जातिगत विवाद पूरी तरह से समाप्त हो जाएं।
🤝 इस बार उन्होंने सभी वर्गों, जातियों और समुदायों को शामिल कर यह संदेश दिया कि उनका राज्य सबका है।
9️⃣ राज्याभिषेक के बाद क्या बदला? 🌍🔥
🛡️ राज्याभिषेक के बाद शिवाजी महाराज सिर्फ राजा नहीं रहे – वे बन गए एक आदर्श।
📈 इसके बाद:
✅ मराठा साम्राज्य तेज़ी से फैला।
✅ पेशवाओं ने दिल्ली तक अधिकार जमाया।
✅ हिंदू समाज में आत्मगौरव लौटा।
✅ भारत में एक धर्म-सम्मत प्रशासनिक मॉडल की नींव पड़ी।
🔟 आज के भारत के लिए शिवाजी का संदेश 📖
शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक आज भी हमें सिखाता है कि:
🌟 सत्ता संस्कृति और सेवा का माध्यम हो सकती है।
✊ जब आत्मगौरव जागता है, तब वास्तविक स्वतंत्रता मिलती है।
🌱 यह सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण का बीज था।
📚 FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न 🙋♀️🙋♂️
❓ शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक कब और कहाँ हुआ था?
➡️ 3 जून 1674 को रायगढ़ किले में हुआ था।
❓ गागा भट्ट कौन थे?
➡️ वे वाराणसी के प्रसिद्ध ब्राह्मण और वेदों के विद्वान थे, जिन्होंने शिवाजी को क्षत्रिय प्रमाणित किया।
❓ शिवाजी महाराज ने दो बार राज्याभिषेक क्यों कराया?
➡️ पहले राज्याभिषेक में कुछ जातिगत आपत्तियाँ आई थीं, इसलिए 24 जून 1674 को दूसरा अभिषेक “निष्कलंक” विधि से कराया गया।
❓ क्या राज्याभिषेक के बाद मुग़लों पर प्रभाव पड़ा?
➡️ हाँ, यह एक राजनीतिक और धार्मिक घोषणा थी जिसने औरंगज़ेब को सीधी चुनौती दी और मराठों की ताकत को मान्यता दिलाई।
❓ क्या आज शिवाजी का राज्याभिषेक कोई प्रतीकात्मक महत्व रखता है?
➡️ बिल्कुल! यह हिंदवी स्वराज्य, आत्मसम्मान और राष्ट्र गौरव का प्रतीक है।
🔔 अंतिम संदेश: शिवाजी की गाथा सिर्फ इतिहास नहीं, चेतना है 🕊️
🗣️ “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा!”
यह सिर्फ नारा नहीं था, बल्कि एक क्रांतिकारी सोच थी, जिसने भारत के भविष्य की नींव रखी।
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