मां चंद्रघंटा 

साहस और शक्ति का प्रतीक 

पार्वती से चंद्रघंटा बनीं 

जब शिवजी की गंभीरता देख माता ने धारण किया तेजस्वी रूप, जिससे हुआ विवाह का अनुपम स्वरूप। 

बाघ पर सवार माता 

करुणा से पूरित होकर भी रौद्र रूप में करती हैं दुष्टों का नाश 

दस भुजाओं में सुशोभित अस्त्र-शस्त्र

न्याय और रक्षण का प्रतीक बनकर करती हैं पापियों का संहार। 

मंत्र जाप 

शक्ति का स्पर्श, और मन में भरता है दिव्यता का उत्कर्ष। 

ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः 

पूजा की विधि 

श्रद्धा, दूध, दही और सफेद वस्त्रों से करें अर्पण, मंत्रों और आरती से क 

नवरात्रि के तीसरे दिन, माँ चंद्रघंटा की होती है वंदना